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Showing posts from May, 2024

वृक्ष लगाओ , बढ़ाओ हाथ

 एसी , कूलर हो गए  लाख  , गर्मी ने सबको किया परास्त | पर्यावरण को मिलकर करो पर्याप्त  , नहीं तो हम सब हो जाएंगे खाक | वृक्ष लगाओ बढ़ाओ हाथ , सब मिलकर आओ एक साथ | भविष्य के साथ ना करो खिलवाड़  , "सोनी " यही विनती करती है बारंबार |

तृप्त होना है जरूरी

 तृप्त होना भी है जरुरी , आज के इस दौर में  लाख कमाओ लाख गवांओ , जिंदगी के इस दौर में | तृप्त हो तो सब कुछ है , अपने-आप में सौभाग्य है  तृप्त  होना है जरुरी  , आज के इस दौर  में  || लाख रिश्ते जोड़ो तुम , समय पर काम एक भी न आते है  आ गए अगर कभी तो एहसान तले दबाते है  | इंसानियत जिंदा हो तो ये इंसानियत  दिखाते है   वरना तृप्त होना है  जरुरी आज के इस दौर में  || लाख गहनेे , लाख  जेवर , लखपती  कहलाते हैं  लाख गाड़ी , लाख बंगलें समृद्ध भी बन जाते हैं |  तृप्त नहीं होकर , वो खाक में मिल जाते हैं  इसलिए " सोनी "तृप्त होना ही जरूरी ,आज के इस दौर में  ||

बचपन , जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है

 हर उम्र का अपना  नया ही अंदाज है  , बचपन , जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है | जी लें हर उम्र को , यही "सोनी " की सौगात है बचपन ,जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है | सुख मिले  या दुःख मिले ,सब अपने कर्मो  का हिसाब है  बचपन ,जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है | जी  ले उसी उम्र  को , जो मिले भाग्य से  बचपन  ,जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है |

कुछ ही जीवन शेष बचा है

उठो , जागो और देखो  कहां  सो गयी हो तुम ? कुछ ही जीवन शेष बचा है , कहां खो गई हो तुम ? तोड़ दो सारे जंजीरे  ,  जो रुकावट में हैं तेरे | अपने ऊपर थोड़ा एहसान करके देखो , कितना बदल गई हो तुम | कुछ ही जीवन शेष बचा है...... तन संभालों ,मन संभालों यूं ही किसी और में ना लगाओं | ज़रा ऊपर उठकर देखो , कहां छुप गई हो तुम  ? कुछ ही जीवन शेष बचा है...... छोड़ दो उन रिश्तों को  , जो तुम्हारा मोल ना समझते  | जरा , झांकों अपने दाएं -बाएं कहां रह गई हो तुम  | कुछ ही जीवन शेष बचा है...... कुछ जिओ अपने लिए भी ," सोनी " ऐसे यूं हीं मत जाओ  | अपने हृदय में उतर कर देखो  , सब कुछ  खो दी हो तुम | कुछ ही जीवन शेष बचा है. ....