उठो , जागो और देखो
कहां सो गयी हो तुम ?
कुछ ही जीवन शेष बचा है ,
कहां खो गई हो तुम ?
तोड़ दो सारे जंजीरे ,
जो रुकावट में हैं तेरे |
अपने ऊपर थोड़ा एहसान करके देखो ,
कितना बदल गई हो तुम |
कुछ ही जीवन शेष बचा है......
तन संभालों ,मन संभालों
यूं ही किसी और में ना लगाओं |
ज़रा ऊपर उठकर देखो ,
कहां छुप गई हो तुम ?
कुछ ही जीवन शेष बचा है......
छोड़ दो उन रिश्तों को ,
जो तुम्हारा मोल ना समझते |
जरा , झांकों अपने दाएं -बाएं
कहां रह गई हो तुम |
कुछ ही जीवन शेष बचा है......
कुछ जिओ अपने लिए भी ," सोनी "
ऐसे यूं हीं मत जाओ |
अपने हृदय में उतर कर देखो ,
सब कुछ खो दी हो तुम |
कुछ ही जीवन शेष बचा है. ....
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