सत्य धीरे-धीरे है चलता
झूठ का उडा़न देखो , कितना है |
सत्य परेशान है रहता
झूठ का गुमान देखो , कितना है |
सत्य मुंह छुपाकर है रोता
झूठ का मुस्कान देखो , कितना है |
सत्य दर-दर है भटकता
झूठ का दुकान देखो , कितना है |
लेकिन "सोनी" सत्य एक दिन होता है उजागर
क्योंकि झूठ का कोई भगवान् नहीं होता |
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