Skip to main content

संक्षिप्त नहीं हो पाता , विस्तार कर देती हूँ

 संक्षिप्त नहीं हो पाता, विस्तार कर देती हूंँ |

कितना भी कोशिश करूं, मैं बातों को तिल से ताड़ कर देती हूंँ |


ना संक्षिप्त कहना आता है ,ना  सुनना आता है 

कुछ ऐसे भी हैं  , जिन्हें इनकार कर देती हूंँ | 

हरदम बूढ़े -बुजुर्गों का जय - जयकार कर लेती हूंँ |


बात ही होते हैं कुछ ऐसे ,जो तिल के लायक नहीं होते 

उन्हीं बातों को अकसर तिल से ताड़ कर देती हूंँ |

 ऐसे ही लोगों का परित्याग कर देती हूँ |


बात करने का यह तरीका भी , कितना खूब भाता है 

इसी तरह से , मैं विचार कर लेती हूँ |

 ना जाने , कितने को दूर से पास कर लेती हूंँ |


अकसर खुलकर नहीं बोलने से , बहुत से रिश्ते टूट  से जाते हैं 

किसी का हमदर्द बनने के लिए , मैं विस्तार से सुनती हूंँ | 

किसी का गम बाॅटने के लिए , मैं तैयार ही रहती हूंँ |


आदत है विस्तार तो , विस्तार कर लेती हूंँ 

अकसर मैं अपने कामों को , दिन से रात कर लेती हूंँ |

 कभी-कभी तो खुद से तकरार कर लेती हूंँ |


कहना होता है थोड़ा  , पर्याप्त कर लेती हूंँ

 ना जाने क्यों , दूसरे का परवाह कर लेती हूंँ |

 कभी-कभी तो मैं परिहास बन जाती हूँ |



 

  ----------------------------'--------'--------------------------------------








मितभाषी तो अच्छा है , लेकिन वाचाल बन जाती हूंँ 

सबके सामने अपने बातों को , दिल खोल कर रखती हूंँ |

अकसर मैं  बच्चे को प्यार से सुनती हूंँ |


अच्छे विचारों से सरोकार मैं रखती हूंँ  , 

खुद पर धैर्य और विश्वास मैं करती हूंँ |

 ऊपर वाले पर सब काम छोड़ "सोनी "इंतजार कर लेती है | 


संक्षिप्त नहीं हो पाता , विस्तार कर देती हूँ |       

Can not collapse, let me expand.


 No matter how much I try, I molest things with sesame seeds.




 Neither know how to say brief, nor know how to listen


 There are some whom I refuse.


 I always cheer the old - the elderly.




 There are some such things, which are not worth sesame.


 I often do the same things with sesame seeds.


 I abandon such people.




 This way of talking is also very pleasing


 In the same way, I consider it.


 I don't know how much I can pass from far away.




 Often speaking, many relationships break down by not speaking openly


 To become someone's sympathizer, I listen in detail.


 I am ready to share someone's grief.




 Habit is an extension, let me expand


 I often do my work from day to night.


 Sometimes I quarrel with myself.




 Have to say a little, let me do enough


 Don't know why, I care about others.


 Sometimes I become a joke.




Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

हर रोज मातृ दिवस हूँ मनाती

 मैं सिर्फ एक दिन की मातृ दिवस को नहीं मानती क्योंकि,  मैं हर रोज मातृ दिवस हूँ मनाती   | सिर्फ एक दिन का यह त्योहार  मुझे नहीं है भाता क्योंकि ,  हर  रोज जुड़ा है माँ तुम से ही नाता  | भले ही हर रोज मैं व्यक्त नहीं कर पाती  ,  औरों को क्या पता तुम फाड़ कर देखो मेरी छाती  | दिखावे की इस  दुनिया से बहुत दूर हूंँ माँ,  ये कुछ और नहीं तेरा आशीष है माँ  | क्या लिखूँ तेरे बारे में "सोनी " की ऑखें भर आती है ,  मेरी उम्र भी तुझे लग जाए क्योंकि , तुम से ही मैं हूँ माँ  | I do not consider Mother's Day just one day because,  I celebrate Mother's Day everyday.  I do not like this one day festival because,  Mother is connected to you everyday.  Even though I cannot express everyday,  What do others know, you tear my chest.  I am far away from this world of show, mother  This is nothing but your blessing, Mother.  What should I write about you, "Soni "'s eyes are filled with ...

मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ  , मैं नारी हूँ    मैं दुर्गा , राधा , काली हूँ   | मैं लक्ष्मी , सरस्वती , सीता हूंँ मैं भगवद्  की गीता  हूंँ  |  मैं नारी हूंँ , मैं नारी हूंँ  ||  मैं गायत्री , सती , सावित्री  ,  मैं धर्म की प्रणेता हूंँ  | मैं शक्ति हूंँ  , मैं रक्षक हूंँ  मैं ही सृजनकर्ता हूंँ   |  मैं नारी हूंँ  , मैं नारी हूंँ   || मैं माँ , बहू ,बहन और बेटी हूंँ  मैं लक्ष्मी स्वरूपा पत्नी हूंँ  |  मैं रूपवती  , मैं गुणवती  मैं ही तो सहनशक्ति हूंँ | मैं नारी हूंँ  , मैं नारी हूंँ    | | मैं अच्छी हूंँ , मैं अच्छी हूंँ  देखो इधर , मैं सच्ची हूंँ  |  मैं ढाल हूंँ  , मैं ढाल हूंँ     मैं शत्रुओं की काल हूंँ  |  मैं नारी हूंँ  , मैं नारी हूंँ  | | मैं  पूजा , अर्चना और साधना हूंँ  मैं आरती और प्रेरणा हूंँ   | मैं शांति हूंँ , मैं श्रद्धा हूंँ   मैं ही तो समृद्धि हूंँ ...