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Showing posts from December, 2024

हे मोबाइल !

कितने गुण लेकर पैदा हुए हो तुम , काश तुम -सा खुशनसीब मैं भी होती | ना जाने कितने आकर्षण से भरे हो तुम , काश मैं भी किसी को वश में  करती |  रोजमर्रा  के ज़िंदगी में शामिल हो गये हो तुम , चाहे मैं , कितनी भी व्यस्त क्यों ना रहती | सबके खास बन चुके हो तुम , जो तुम ना होते तो "सोनी "क्या करती ? शीर्ष पर पहुँच गये हो तुम ,  हे मोबाइल मैं , तुम्हारी ही बात हूँ  करती | सबके हाथों की शोभा बढ़ाते हो तुम   हर जगह तुम्हारी  मांग है रहती | हे मोबाइल  ! तुम धन्य हो ,  तुम धन्य हो , तुम धन्य हो | अनंत  गुणों से भरपूर तुम खास हो , तुम खास  हो , तुम सबके लिए खास हो |