कितने गुण लेकर पैदा हुए हो तुम ,
काश तुम -सा खुशनसीब मैं भी होती |
ना जाने कितने आकर्षण से भरे हो तुम ,
काश मैं भी किसी को वश में करती |
रोजमर्रा के ज़िंदगी में शामिल हो गये हो तुम ,
चाहे मैं , कितनी भी व्यस्त क्यों ना रहती |
सबके खास बन चुके हो तुम ,
जो तुम ना होते तो "सोनी "क्या करती ?
शीर्ष पर पहुँच गये हो तुम ,
हे मोबाइल मैं , तुम्हारी ही बात हूँ करती |
सबके हाथों की शोभा बढ़ाते हो तुम
हर जगह तुम्हारी मांग है रहती |
हे मोबाइल ! तुम धन्य हो ,
तुम धन्य हो , तुम धन्य हो |
अनंत गुणों से भरपूर तुम खास हो ,
तुम खास हो , तुम सबके लिए खास हो |
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