है परिवार के दो पहिए
एक पति और दूजा पत्नी,
किसी को कम न आंको
दोनों के महत्व को मानों|
है परस्पर दोनों एक-दूजे के
जैसे मछली और पानी,
है बनता परिवार इनसे
बन जाती एक प्रेम कहानी|
एक पहिया कमजोर पड़ता
दूसरा जोर लगाते हैं,
एक-दूजे से चलते
ये परिवार बनाते हैं|
जब समर्पित मन से
ये कमान संभालते हैं,
होती एक सुखद यात्रा
स्वर्ग यहीं बनाते हैं|
एक-दूजे का साथ देखकर
माता-पिता भी खुश हो जाते हैं,
होती उनकी परवरिश सफल
वो मगन हो जाते हैं |
आशा करती हूँ आपको मेरी कविता पसंद आयी होगी|
नाम - सोनी झा
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