हाय रे चाय! तुम्हारे में जो नशा है, मैं क्या कहूँ?
जो ना पीये, वो क्या जाने तुम्हारी नशा |
इस कड़क ठंडक में,
तुम्हारी लत कुछ और ही बढ़ जाती है |
शुक्रिया तुम्हारी,
जो तुम हमें तरोताजा रखती हो |
अपने नशे से ना जाने,
कितने को अपना बनाती हो |
तुम्हारे बहाने ना जाने कितने से मिलती हूँ |
तुम्हारी पूछ हर जगह पाती हूँ |
धन्यवाद तुम्हारा, जो तुम
अपने तक सीमित रखती हो |
कहीं और नहीं बहकने देती हो |
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