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कोरोना एक बहाना

यूँ तो इंसानों ने दिल की दूरी पहले ही बना रखी , 

बस कोरोना काल में दो गज की सामाजिक दूरी बना रखी  |

पहले ही सब बंद था, इस कोरोना काल से 

क्यों सच कहा न देखो अपने दिल को टटोल के  |

साथ उठना साथ बैठना, बस एक दिखावा था

कोरोना ने किया स्पष्ट बस एक बहाना था  |

हम बडे़ तो हम बडे़ बस इसकी ही होड़ थी, 

एक वायरस ने रची तबाही, क्या इसकी ही जोड़ थी  ? 

बडे़-बूढे और सयाने सब थे अपनी-अपनी जगह, 

दया-प्रेम और विश्वास सब थे इनके तरह  |

हम भी देखें कुछ जमाने, बैठते सब सोचकर 

आदर-सत्कार प्यार-भाव कहाँ गया सब भागकर   ? 

आओ मिलकर दूर करें, नफरत की ये दूरियाँ

खुश रहे-खुश रखें, यही है समझदारियां-

यही है समझदारियाॅ |


Just like this, humans have kept the distance of the heart before,


 Just maintained a social distance of two yards during the Corona period.


 Already everything was closed since this Corona period


 Why not tell the truth to see your heart groping.


 Getting up and sitting together was just a show off


 Corona made it clear there was just an excuse.


 When we grew up, we were just competing with it,


 A virus created havoc, was it only a joint?


 All were old and grown up in their respective places,


 Kindness, love and faith were all like them.


 Let us also look at some time, thinking about everything while sitting


 Where did all the love and hospitality run away?


 Come together, remove these distances of hatred


 Be happy - keep happy, this is what makes sense-


 This is the reason.


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