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आजकल के रिश्ते

है कशमकश रिश्तो की, जिंदगी की महफिल में 

कौन खोता है, कौन पाता है ? 

कौन रोता है, कौन हंसता है ? 

रिश्तों की आड़ में तड़पते देखा है |


आजकल के रिश्ते, समझ ना आते हैं 

 न जाने किस बात से ये खफा होते हैं |

 धीरे-धीरे इगो को बढ़ते देखा है , 

रिश्तो की आड़ में तड़पते देखा है


|


आजकल के रिश्ते ,ना संभाले जाते हैं 

ये रिश्ते ना तोड़े जाते हैं |

रिश्तो की आड़ में घसीटते देखा है , 

रिश्तो की आड़ में जगते देखा है |


ना किसी के होने की खुशी , 

ना किसी के जाने का गम |

फिर भी न जाने ,ये किस बात से व्यथित होते हैं 

रिश्तो की आड़ में तड़पते देखा है |


किसी के खुशी से दुखी , 

ना किसी को पहचानने में रुचि |

न जाने ये क्या सोचते रहते हैं ?

रिश्तो की आड़ में मतलबी होते देखा है |


It is difficult for relatives, in life's meeting


 Who loses, who gets?


 Who cries, who laughs?


 Have seen suffering in the guise of relationships.




 Today's relationships don't make sense


  Do not know why they are upset.


  Iago is seen growing slowly,


 Have seen suffering under the guise of Rishto




 |



 Today's relationships are not handled


 These relationships are not broken.


 Seen dragging under the guise of Rishto,


 I have seen him awake under the guise of Rishto.




 Not the joy of being someone,


 No grief to leave.


 Still don't know what they are upset about


 Have seen suffering under the guise of Rishto.




 Unhappy with someone's happiness,


 Not interested in identifying anyone.


 Don't know what they think?


 In the guise of relationships, they are seen to be mean.

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