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ये ऑनलाइन पढ़ाई

Mommy is tired of this online study  Mommy is cooked, due to this online education ||  Don't know when our kids will go to school again  These thinking years have passed, this online study.  TV, mobile and computer games are just left  Don't know how long the poor mummies will be in jail.  Children's 'on' came out of this online study  Mommy is cooked, due to this online education ||  Whenever you see yourself connected to online  Don't know what today's children think of themselves?  On hearing the name of reading, we talk about studying online.  God knows how many games are played under the guise of this online.  Neither the right time for work, in this online study  Mommy is cooked, in this online study ||  Never ask young children, is very happy not going to school  Waking up in the morning at your own pace, like weary all night.  Say one thing, don't tell anyone  Mmmiya did not sleep any less, in t...
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सत्य और झूठ

सत्य धीरे-धीरे है चलता   झूठ का उडा़न देखो , कितना है | सत्य परेशान है रहता   झूठ का गुमान देखो , कितना है | सत्य मुंह छुपाकर है रोता  झूठ का मुस्कान देखो , कितना है | सत्य दर-दर है भटकता  झूठ का दुकान देखो , कितना है | लेकिन "सोनी" सत्य एक दिन होता है उजागर  क्योंकि झूठ का कोई भगवान् नहीं होता | 

वक्त तेरे साथ होगा

लोगों ने कहा की  वक्त बदलता है , वक्त ने कहा की लोग भी बदलते हैं |  हूं इसी उधेड़बुन में , लोग बदलते हैं या वक्त बदलता  है | रेत - सी फिसलती है वक्त  , सोच से बदलते है लोग  | क्या फर्क पड़ता है "सोनी "  लोग बदलते हैं या वक्त बदलता है | बस तू अपने कर्म पथ पर टिका रहे , खुद को बढ़ाता  रहे | भीड़  से अलग होगा , वक्त तेरे साथ होगा |

वृक्ष लगाओ , बढ़ाओ हाथ

 एसी , कूलर हो गए  लाख  , गर्मी ने सबको किया परास्त | पर्यावरण को मिलकर करो पर्याप्त  , नहीं तो हम सब हो जाएंगे खाक | वृक्ष लगाओ बढ़ाओ हाथ , सब मिलकर आओ एक साथ | भविष्य के साथ ना करो खिलवाड़  , "सोनी " यही विनती करती है बारंबार |

तृप्त होना है जरूरी

 तृप्त होना भी है जरुरी , आज के इस दौर में  लाख कमाओ लाख गवांओ , जिंदगी के इस दौर में | तृप्त हो तो सब कुछ है , अपने-आप में सौभाग्य है  तृप्त  होना है जरुरी  , आज के इस दौर  में  || लाख रिश्ते जोड़ो तुम , समय पर काम एक भी न आते है  आ गए अगर कभी तो एहसान तले दबाते है  | इंसानियत जिंदा हो तो ये इंसानियत  दिखाते है   वरना तृप्त होना है  जरुरी आज के इस दौर में  || लाख गहनेे , लाख  जेवर , लखपती  कहलाते हैं  लाख गाड़ी , लाख बंगलें समृद्ध भी बन जाते हैं |  तृप्त नहीं होकर , वो खाक में मिल जाते हैं  इसलिए " सोनी "तृप्त होना ही जरूरी ,आज के इस दौर में  ||

बचपन , जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है

 हर उम्र का अपना  नया ही अंदाज है  , बचपन , जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है | जी लें हर उम्र को , यही "सोनी " की सौगात है बचपन ,जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है | सुख मिले  या दुःख मिले ,सब अपने कर्मो  का हिसाब है  बचपन ,जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है | जी  ले उसी उम्र  को , जो मिले भाग्य से  बचपन  ,जवानी और बुढ़ापा सब अपने में खास है |

कुछ ही जीवन शेष बचा है

उठो , जागो और देखो  कहां  सो गयी हो तुम ? कुछ ही जीवन शेष बचा है , कहां खो गई हो तुम ? तोड़ दो सारे जंजीरे  ,  जो रुकावट में हैं तेरे | अपने ऊपर थोड़ा एहसान करके देखो , कितना बदल गई हो तुम | कुछ ही जीवन शेष बचा है...... तन संभालों ,मन संभालों यूं ही किसी और में ना लगाओं | ज़रा ऊपर उठकर देखो , कहां छुप गई हो तुम  ? कुछ ही जीवन शेष बचा है...... छोड़ दो उन रिश्तों को  , जो तुम्हारा मोल ना समझते  | जरा , झांकों अपने दाएं -बाएं कहां रह गई हो तुम  | कुछ ही जीवन शेष बचा है...... कुछ जिओ अपने लिए भी ," सोनी " ऐसे यूं हीं मत जाओ  | अपने हृदय में उतर कर देखो  , सब कुछ  खो दी हो तुम | कुछ ही जीवन शेष बचा है. ....

खुशी , तुम क्यों चली गई

 हे ख़ुशी ! तुम क्यों चली गई , मैंने बनाई है एक लम्बी सूची  खैर , "सोनी " को भी नहीं है तुम्हें ढूंढने में  रूची | अगर ढूंढ भी लूं तुम्हें अगल -बगल कहीं  लेकिन ,तू  है कि कहीं टिकती ही नहीं  ||