जब अंतर्मन में , देशभक्ति का जुनून पैदा होता है | तब भागते -भागते कहीं ना कहीं , वह फौज में भर्ती होता है | कभी इस बॉर्डर , कभी उस बॉर्डर गलवान घाटी तक पहुॅचता है | भारत माँ का रक्षक बनकर , अपने प्राण तक न्योछावर करता है | मिलता उन्हें सम्मान , ना मिलता फिर भी फिक्र न करता है | कौन अपना कौन पराया ? सबकी मदद वह करता है | ना है अंदर छल -कपट , द्वेषरहित वह होता है | भारत माँ का रक्षक बनकर , अपने प्राण तक न्योछावर करता है | होता है हर शहर एक- सा हीं , हर जगह पहचाना लगता है | जैसे हो अपना हीं शहर-गाॅव , ना कहीं बेगाना लगता है | ना कोई त्योहार , ना कोई हड़ताल "सोनी "उसके नसीब में होता है | अपना वेतन ही पाकर , वह खुशी-खुशी से जीता है |
PLEASE READ MY POEMS