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जिंदगी हर बार न आती है

आत्महत्या कभी-कभी एक साजिश होती है  | हो अपने द्वारा या रचाए या फिर पराए, ये आत्महत्या बहुत दुखदायी होती है  | कभी हो पैसौं की तंगी  ,  कभी भूख-प्यास से मंदी   कभी अगल-बगल के ताने, चाहे बूढ़े हो या सयाने   ये आत्महत्या सब सूनी करती है  | कभी किसी ने पहुंचाया क्लेश, कभी स्वाभिमान को पहुँचा ठेस  धीरे -धीरे ये डिप्रेशन बनती है | जो आत्महत्या का रूप लेती है | कभी दहेज़ -प्रथा की मार , कभी गरीबी करे लाचार  कभी अकेलेपन का बोझ, कभी मन से मिटे ना रोष   हर हाल में ये बहुत दुखदायी होती है | कभी परीक्षा फलों की मार, कभी हो किसी का शिकार  कभी असफलता बारंबार  ,  कभी-कभी ये मजबूर बनाती है  | ये आत्महत्या बहुत कष्टदायक होती है | हो अपने हो या पराये,  ना जाने किसके द्वारा रचाए? कभी -कभी तो ये एक साजिश होती है | ये आत्महत्या बहुत दुखदायी होती है | कभी मन पर भारी बोझ  ,  कभी समस्या ताबड़तोड़   कभी कर न सके खुद को तैयार  ,  कभी हो गए हम लाचार  ये आत्महत्या बदनाम बनाती है | ये आत्महत...

प्रशंसा कैसी करें ?

 प्रशंसा करें,खुलकर करें,हँसकर करें जी भरकर करें, दिल से करें, खूब करें| अच्छाई की करें, सच्चाई से करे प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें| प्रशंसा ना करें,बुराई की जग हँसाई की झूठे अरमानों की, किसी के अपमानों की| बुरे प्रभावों की, तानाशाहों की प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें| प्रशंसा करें दोस्तों की, दुश्मनों की अपनों की परायों की  | जिम्मेदारों की, जलने वालों की करो "सोनी " प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करे  | ये प्रशंसा भी सबके वश की बात नहीं है जब भी मौका मिले तो,दूसरों को खुश करें| झूठी प्रशंसा ले जाती हैं, इंसानों को गर्त में प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें, संभलकर करें| Praise, be open, laugh  Do it wholeheartedly, do it from the heart, do it well.  Do good, do it truthfully  Praise, do it openly, laugh it out.  Do not praise, laughed at the evil  Of false desires, of someone's dishonor.  Of evil influences, of dictators  Praise, do it openly, laugh it out.  Praise friends, enemies  Of their loved ones ...

प्रशंसा कैसी करें ?

 प्रशंसा करें,खुलकर करें,हँसकर करें जी भरकर करें, दिल से करें, खूब करें | अच्छाई की करें, सच्चाई से करें प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें  | प्रशंसा ना करें,बुराई की जग हँसाई की झूठे अरमानों की, किसी के अपमानों की | बुरे प्रभावों की, तानाशाहों की प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें| प्रशंसा करें दोस्तों की, दुश्मनों की अपनों की ,परायों की| जिम्मेदारों की, जलने वालों की करो  "सोनी " प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें  | ये प्रशंसा भी सबके वश की बात नहीं है ,  जब भी मौका मिले तो,दूसरों को खुश करें | झूठी प्रशंसा ले जाती हैं, इंसानों को गर्त में प्रशंसा करें, खुलकर करें, हँसकर करें, संभलकर करें|

मैं कौन हूँ?

 मैं कौन हूँ, मैं कहाँ से आयी हूँ? मैं क्या चाहती हूँ, मैं ही क्यों हूँ  ?  आखिर मैं ही क्यों हूँ? इन सारे प्रश्नों से जब इंसान उलझ-सा जाता है | होती है खुद की फिकर उसे,खुद को समझना चाहता है| इन प्रश्नों के हल ढूँढने, वो मारा-मारा फिरता है| समस्या रह जाती हैं यूँ ही, गहरी सोच में पड़ता है| कभी-कभी तो तंग आकर, छोड़ो ना "मैं कौन हूँ?" क्या फर्क पड़ता है,  ऐसे ही संसार में सब आते हैं-सब जाते हैं | सब कुछ भूलकर, फिर से सिमट जाता है | इस रंगीन दुनिया में, फिर से रम जाता है | होती फिर से दस्तक -"मैं कौन हूँ ?" अथक परिश्रम के साथ फिर से जुट जाता है | खुद में एक छवि पाकर वह मंद-मंद मुसकाता है  सकारात्मक सोच के साथ वह खुद को पढ़ पाता है| "सोनी " आखिर में होती उसकी लगन सफल  ,   वह प्रफुल्लित हो जाता है| इन प्रश्नों के हल ढूँढने से वह  ,  अपनी पहचान बनाता है   | Who am I, where did I come from?  What do I want, why am I the one?  Why am I the only one?  When a person gets entangled with all these questions.  It is his ...

पहचान कर , पहचान कर

 पहचान कर, पहचान कर अपने अस्तित्व का पहचान कर | जग में आए हो तो कुछ काम कर, ये नर तन पाए हो तो, कुछ काम कर जग में रह कर कुछ काम कर | पहचान कर, पहचान कर अपने अस्तित्व का पहचान कर | ये नर तन ना मिलेगा फिर, इसका तुम उपयोग कर | जग में रह कर कुछ काम कर, जग में रह कर कुछ नाम कर | पहचान कर पहचान कर, "सोनी "  अपने अस्तित्व का पहचान कर | By identifying  Identify your existence.  If you come in the world, do some work,  If you are able to get a male body, then do some work  Do some work by staying in the world.  By identifying  Identify your existence.  This male body will not be found again,  You use it.  Staying awake, doing some work,  Name something by staying in the world.  By identifying  "Sony" by identifying its existence.

जलन

 जलन' हरदम बैचेन रखती है, ये एक-दूसरे से दूर करती है | ये 'जलन' आगे बढने से रोकती है, ये हमें नाकाम करती है | 'जलन' नींद हराम करती है , ये अपना स्वाभिमान खो देती है | ये गुस्सैल बनाती है, ये हमें अहंकार दिखाती है | "सोनी " ये हमारा सूकून छीन लेती है  ,  ये हरदम बैचेन रखती  | Jealousy always keeps the rest,  It distances them from each other.  This 'jealousy' prevents it from moving forward,  It fails us.  'Burning' sleeps,  It loses its self-respect.  It makes me angry,  It shows us arrogance.  "Sony" takes away our peace,  It always holds the rest.

कोरोना काल में गृहिणियाॅ

 स्कूल बंद, ऑफिस बंद, बंद सारी होटलें, हो गई मॉलें भी बंद, बंद सारे हौसले | पर ना हुआ बंद गृहिणियों के काम -काज, वो तो फंस गई बेचारी लॉकडाउन को मानकर| कभी शिक्षक, कभी डॉक्टर, कभी ममतामयी बनी, रसोइया बनकर सबकी फरमाइश पूरी करती गयी  | पहले समोसा, फिर जलेबी, रसगुल्ले भी चाहिए, जैसा बनता है बनाओ, नहीं तो यूट्यूब है किसलिए  | चटपटा तो खुद भी चाहिए पर,अपनी हम क्यूँ कहे, बोलो बेटा क्या खाओगे ताकि, हम पूरी करें | पति की फरमाइश कुछ और खिलाओ हे प्रिये! मुँह फुलाकर बैठ गई, आखिर हम भी तो थक गए| इतने में गोलगप्पे मेज पर तैयार था,  खट्टी-मिठी चटनियों से था मुझे ललचा रहा, "सोनी "चौकन्ना रह गई गोलगप्पे देखकर  ,   खुश हुईं मन-ही-मन , हाव-भाव देखकर | इतना अच्छा हो बनाते, अब तक मालूम न था इस रसोइये का भेद कोरोना काल में है खुला| मन प्रफुल्लित हुआ मेरे श्रीमान् का, कभी मौका ही न मिला, मुझे इन काम का | झट से बोली हे जनाब सनडे है किसलिए, अपने हाथों से बनाओ  , प्यार करते इसलिए| सनडे है इसलिए  , सनडे है इसलिए ||

सार्थक लक्ष्य

 आओ, अपना एक लक्ष्य बनाते है | निरर्थक नहीं, सार्थक बनाते है | सार्थक लक्ष्य विहीन मनुष्य ना तो जीता है,  और ना जीने देता है | छोटी -छोटी बातों में उलझ कर वो,  खुद और दूसरों का भी जीवन उलझा देता है | जिन्हें आगे बढना है, कुछ करना है  उन्हें सार्थक लक्ष्य विहीन मनुष्य से दूरी बनाना है | आओ "सोनी " अपना एक लक्ष्य बनाते है | निरर्थक नहीं सार्थक बनाते है |

2021 का वादा निभाया

 जिन्हें अधैर्य हो रहा था उन्होंने,  सेनिटाइजर और मास्क के साथ 2020 में ही अपने जीवन-संगिनी को पाया और जिन्हें धैर्य है उन्होंने,  2021 का वादा निभाया | बेचारे 2021 का वादा निभाने वाले को  बारात की समस्या भी रही होगी "सोनी " बेचारे किस-किस को  शादी की लिस्ट से छाॅटते | शादीशुदा को छाॅटते तो दुश्मनी मोल लेनी पड़ती,  गर छाॅटते कुॅवारे तो को देख लेना - "मेरी भी बारात निकलेगी सब जायेगा यार बस तेरी ही कमी होगी |"   क्योंकि उस समय कोरोना नहीं रहेगा | बेचारा.. ...

2020 के जाने की खुशी

 सब 2020 के जाने से ऐसे खुश हो रहे हैं,  जैसे 2021 आते ही कोरोना हम लोगों को बाॅय -बाॅय करेगा और बोलेगा,  अच्छा चलता हूँ, दुआओं में याद रखना | फिर से नमस्ते छोड़कर, हाय-हैलो करना खूब गले मिलना, मस्ती करना देश-विदेश घूमना, खूब पार्टी करना सेनिटाइजर और मास्क से छुटकारा पाना | पर "सोनी " ये सब एकदम से 2021 में नहीं होने वाला |

सब अपनी धुन में चलते है

 आज के दौर में सब  ,  अपनी धुन के मनमाने | "सोनी " कोई किसी की नहीं माने,  बूढ़े बच्चे और सयाने सब अपनी धुन के दिवाने | हरदम खुद की ही महिमा बखाने सब अपनी धुन के दिवाने |

चाय का नशा

हाय रे चाय! तुम्हारे में जो नशा है, मैं क्या कहूँ?  जो ना पीये, वो क्या जाने तुम्हारी नशा | इस कड़क ठंडक में,  तुम्हारी लत कुछ और ही बढ़ जाती है | शुक्रिया तुम्हारी,  जो तुम हमें तरोताजा रखती हो | अपने नशे से ना जाने,  कितने को अपना बनाती हो |  तुम्हारे बहाने ना जाने कितने से मिलती हूँ | तुम्हारी पूछ हर जगह पाती हूँ | धन्यवाद तुम्हारा, जो तुम  अपने तक सीमित रखती हो | कहीं और नहीं बहकने देती हो  |

हे कोरोना

 हे कोरोना  ! अब तुम भाग जाओ ना  ,  अब अपने घर भी लौट जाओ ना | तुझे इतना भी नहीं पता कि,  दूसरे के घर ज्यादा दिन नहीं टिकते ,  प्लीज,अब अपने घर भी लौट जाओ ना | क्योंकि, वो अपना घर ही जमा लेते इसलिए हम मेहमानों को सर पर नहीं चढ़ाते,  अब अपने घर भी लौट जाओ ना | हमनें तुम्हारी खातिरदारी में कुछ कमी रखी क्या?  अब मेरी बात भी रख लो ना ,  अब तुम अपने घर भी लौट जाओ ना | क्या तुझे नहीं पता, तेरा हो रहा है इंतजार घरवाले हो रहे हैं, बैचेन तेरे लिए अब "सोनी "की भी मान जाओ ना | अब प्लीज, अपने घर भी लौट जाओ ना  | Hey corona! Now you run away, don't you?  Now return to your home too.  You don't even know that,  Other's houses do not last long,  Please, now return to your home too.  Because, they would collect their own house  That's why we don't offer guests on the head,  Now return to your home too.  Have we put anything short on your sake?  Now keep my point too, don't you?  Now you also return to y...

कोरोना एक बहाना

यूँ तो इंसानों ने दिल की दूरी पहले ही बना रखी ,  बस कोरोना काल में दो गज की सामाजिक दूरी बना रखी  | पहले ही सब बंद था, इस कोरोना काल से  क्यों सच कहा न देखो अपने दिल को टटोल के  | साथ उठना साथ बैठना, बस एक दिखावा था कोरोना ने किया स्पष्ट बस एक बहाना था  | हम बडे़ तो हम बडे़ बस इसकी ही होड़ थी,  एक वायरस ने रची तबाही, क्या इसकी ही जोड़ थी  ?  बडे़-बूढे और सयाने सब थे अपनी-अपनी जगह,  दया-प्रेम और विश्वास सब थे इनके तरह  | हम भी देखें कुछ जमाने, बैठते सब सोचकर  आदर-सत्कार प्यार-भाव कहाँ गया सब भागकर   ?  आओ मिलकर दूर करें, नफरत की ये दूरियाँ खुश रहे-खुश रखें, यही है समझदारियां- यही है समझदारियाॅ | Just like this, humans have kept the distance of the heart before,  Just maintained a social distance of two yards during the Corona period.  Already everything was closed since this Corona period  Why not tell the truth to see your heart groping.  Getting up and sitting together was just a show off  Co...

बातें करो स्वयं से

 रोज थोड़ा समय निकालकर, बातें करो स्वयं से | दिनचर्या का सारे काम निपटाकर, "सोनी " रहो कुछ एकांत में | जो हल कहीं ना निकल पाया, वो निकालो स्वयं से | होगी जिंदगी आसान अगर, बातें करोगे स्वयं से | कितना सूकून मिलेगा, जब बातें करोगे स्वयं से | अच्छे अनुभवी कहलाओगे, जब बातें करोगे स्वयं से |

कोरोना का प्रभाव

 कोरोना ने अपना प्रभाव हर जगह दिखाया, बड़े -बड़े हो गये ध्वस्त, जब उसने रंग जमाया| सरकारी कर्मचारी हो या प्राइवेट जॉब वाले, बड़े पदाधिकारी हो या हमारी सरकारें| सबका रूह काँप उठा, जब उसने पैर जमाया, कोरोना ने अपना प्रभाव हर जगह दिखाया | वूहान का पैदाइश ये,शैतान बन कर आया, सबको अपने प्रभाव से घर में है बिठाया| स्पेन, ईरान, रूस, फ्रांस कोई ना संभल पाया, अमेरिका विश्वशक्ति फिर भी है डगमगाया| कोरोना ने अपना प्रभाव हर जगह दिखाया | शैतान तो शैतान है पहले अपने घर तहलका मचाया, साॉर्स प्रजाति का यह वायरस कोविड-19 नाम पाया| पढ़े-लिखे, विद्वान और वैज्ञानिक अब तक कोई ना दवा ढूँढ पाया, है विवश सब इससे विश्व है थर्राया | कोरोना ने अपना प्रभाव हर जगह दिखाया || सेनिटाइज करना, मास्क पहनना, नमस्कार करना, दो गज की दूरी बस "सोनी " को इतनी समझ में आया | कोरोना ने अपना प्रभाव हर जगह दिखाया ||

श्रृंगार-प्रसाधन पर रोक

कोरोना ने सब का हाल -बेहाल कर रखा  ,  बेचारी औरतों ने अपना श्रृंगार ही बेकार कर रखा | प्रतिदिन घर में कितना सजे-कितना सजे  ,  ना कहीं जाना है बाहर , आखिर खुद को क्यूँ रचे | थीं विवश मैं भी सजने को , कोरोना तेरा सत्यानाश हो  तूने ऊधम है मचाया औरतों के श्रृंगार पर | थी पुरानी कुछ पडी़ श्रृंगार के सामान भी , सोची सज-धज के सोशल मीडिया के सखियों से मिलूँ | चूड़ी, बिन्दी, नेलपाॅलिश, मेहंदी भी रच गई बालों में सुंदर गजरा ऑखों में काजल है बस गई | पैरों में पायल -बिछिया चमकती साड़ी ने दिखाया जलवा, लाल सिंदूर लगाकर हाय रे! कितनी में जॅच गई | परफ्यूम मारकर मैं सुगंधित हो गई ,  जब आई बारी होठों की लिपिस्टिक हाथों में थम गई | क्योंकि मास्क हटाने से "सोनी "डर गई ,  हाय रे ! मेरी श्रृंगार अधूरी रह गई  ,  मेरी श्रृंगार अधूरी रह गई ||

क्यों, अपनी वाहवाही के लिए किसी का वजूद मिटाते हो?

अगर कर ना सको, खुद को तैयार क्यों किसी को नीचा दिखाते हो? अपनी वाहवाही के लिए क्यों, किसी का वजूद मिटाते हो? जब तुमने लिया था, हर तरफ का मज़ा तब किसी ने पायी भरपूर सजा | अपनी वाहवाही के लिए क्यों, किसी का दामन चुराते हो? जब तुम्हें ना थी किसी की खबर, तब किसी ने लिया सबकी खबर| क्यों किसी के किए -कराए पर, पानी फेर देते हो? अगर ना बना सकते हो, तुम अपना वजूद अगर है तुममे धैर्य और विश्वास की कमी, तो अपनी वाहवाही के लिए क्यों, नहीं किसी का दामन थाम लेते हो? अपनी वाहवाही के लिए क्यों किसी का वजूद मिटाते हो?

लोग क्या कहेंगे ?

 मैं भी सुनते आ रही हूँ बचपन से, "लोग क्या कहेंगे?"  अरे! "लोग क्या कहेंगे? "  आपने भी सुना होगा  "लोग क्या कहेंगे? "   खत्म होगा एक दिन ये कोरोना भी,  लेकिन "लोग क्या कहेंगे? "  कब आ रही है इसकी कोई वैक्सीन?   एक वायरस की तरह खाए जा रहा है | लोगों का काम है कहना तो,  लोग ही कहेगें |  बस, अच्छे-बुरे का पहचान हो हममें| सब हम ही सोच लें  , "सोनी "   तो फिर "लोग क्या कहेंगे?"

परिवार के दो पहिए

  परिवार के दो पहिए है परिवार के दो पहिए एक पति और दूजा पत्नी, किसी को कम न आंको दोनों के महत्व को मानों| है परस्पर दोनों एक-दूजे के जैसे मछली और पानी, है बनता परिवार इनसे बन जाती एक प्रेम कहानी| एक पहिया कमजोर पड़ता दूसरा जोर लगाते हैं, एक-दूजे से चलते ये परिवार बनाते हैं| जब समर्पित मन से ये कमान संभालते हैं, होती एक सुखद यात्रा स्वर्ग यहीं बनाते हैं| एक-दूजे का साथ देखकर माता-पिता भी खुश हो जाते हैं, होती उनकी परवरिश सफल वो मगन हो जाते हैं |  आशा करती हूँ आपको मेरी कविता पसंद आयी होगी|  नाम - सोनी झा