आत्महत्या कभी-कभी एक साजिश होती है | हो अपने द्वारा या रचाए या फिर पराए, ये आत्महत्या बहुत दुखदायी होती है | कभी हो पैसौं की तंगी , कभी भूख-प्यास से मंदी कभी अगल-बगल के ताने, चाहे बूढ़े हो या सयाने ये आत्महत्या सब सूनी करती है | कभी किसी ने पहुंचाया क्लेश, कभी स्वाभिमान को पहुँचा ठेस धीरे -धीरे ये डिप्रेशन बनती है | जो आत्महत्या का रूप लेती है | कभी दहेज़ -प्रथा की मार , कभी गरीबी करे लाचार कभी अकेलेपन का बोझ, कभी मन से मिटे ना रोष हर हाल में ये बहुत दुखदायी होती है | कभी परीक्षा फलों की मार, कभी हो किसी का शिकार कभी असफलता बारंबार , कभी-कभी ये मजबूर बनाती है | ये आत्महत्या बहुत कष्टदायक होती है | हो अपने हो या पराये, ना जाने किसके द्वारा रचाए? कभी -कभी तो ये एक साजिश होती है | ये आत्महत्या बहुत दुखदायी होती है | कभी मन पर भारी बोझ , कभी समस्या ताबड़तोड़ कभी कर न सके खुद को तैयार , कभी हो गए हम लाचार ये आत्महत्या बदनाम बनाती है | ये आत्महत...
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